भारतीय संस्कृति में ज्योतिष का योगदान-

भारतीय संस्कृति में ज्योतिष का योगदान-

 वेद के 6 अंगों में ज्योतिष एक प्रमुख अंगों के रूप में प्रतिष्ठित है ।ज्योतिष के द्वारा ही काल का विधान किया जाता है। भारतीय संस्कृति का संरक्षक ज्योतिष शास्त्र  है । ज्योतिष के द्वारा ही भारतीय संस्कृति में विभिन्न पर्वों , त्योहारों, व्रतों , उत्सवों आदि का काल निर्णय किया जाता है। ज्योतिष में प्रतिपादित काल नियमों के अनुसार ही दीपावली होली रक्षाबंधन इत्यादि उत्सवों  का विधान होता है। जन्मोत्सवों के विधान व संपादन भी ज्योतिष प्रतिपादित काल के अनुसार ही होता है। उदाहरण के लिए रामनवमी, कृष्ण-जन्माष्टमी ,गणेश चतुर्थी, दुर्गा नवमी इत्यादि समस्त देवताओं के जन्मोत्सव का विधान बिना तिथि निर्णय व काल निर्णय के संभव नहीं है। इसके साथ ही विभिन्न यज्ञों का संपादन भी काल के बिना संभव नहीं है अतः ज्योतिष शास्त्र एक महत्वपूर्ण शास्त्र है, जिसके द्वारा भारतीय संस्कृति की रक्षा संभव हो पाई है। भारत ज्योतिष संसार का महान उपकारक शास्त्र है। विभिन्न संस्कारों का संपादन ज्योतिष शास्त्र के द्वारा ही संभव हो पाता है । ज्योतिष शास्त्र न केवल भारत अपितु संपूर्ण विश्व के लिए कल्याण कारक है । ज्योतिष शास्त्र में प्रतिपादित वार के क्रम का संपूर्ण विश्व में प्रचलन है । ज्योतिष में कहे गए सोम, मंगल, बुध ,गुरु, शुक्र इत्यादि वारों को ही संपूर्ण विश्व मानता है।


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