“भारतीय ज्ञान परम्परा की स्वर्ण धरोहर”

        “भारतीय ज्ञान परम्परा की स्वर्ण धरोहर”

 स्वर्ण -धरोहर याद करें  ,नवभारत के निर्माण को।

 मातृभूमि पर गर्व करें ,करें समर्पित प्राण को।।

 वेद-पुराणों उपनिषदों के मंत्रों का जो ज्ञान है

सूत्र रूप में छुपा हुआ है यहां सारा विज्ञान है

महाभारत गीता रामायण के श्लोकों का जो सार है

वही वर्तमान पीढ़ी के दुखों का उपचार है

 वैदिक यज्ञ बता रहे हैं सृष्टि के विज्ञान को

स्वर्ण -धरोहर याद करें ,नवभारत के निर्माण को।

 मातृभूमि पर गर्व करें ,करें समर्पित प्राण को।।

व्यास ,भास और कालिदास के काव्य बहुत निराले हैं

जनमानस के भावों की भी व्याख्या करने वाले हैं

चाणक्य ने अर्थशास्त्र में राजनीति का ज्ञान दिया

 मंत्री सन्त्री गुप्तचरों की संख्या का परिमाण दिया

 चाणक्य नीति के दम पर बदले हिंदुस्तान को

स्वर्ण -धरोहर याद करें , नवभारत के निर्माण को।

 मातृभूमि पर गर्व करें ,करें समर्पित प्राण को।।

 चरकमहर्षि और सुश्रुत के योगदान को याद करें

आयुर्वेद जो मरणासन में प्राणों का संचार करे

गणना ज्ञानी आर्यभट्ट ने शून्य को समझाया था

घूम रही है धरा सूर्य के चारों ओर बताया था

जग में पहली बार बताया “पाई “के भी मान को

स्वर्ण -धरोहर यादकरें ,नवभारत के निर्माण को।

 मातृभूमि पर गर्व करें ,करें समर्पित प्राण को।।

 पातंजल भाष्य में देखो योग- समाधि- ध्यान को

भरद्वाज ने समझाया है वैमानिक विज्ञान को

कृषि शास्त्र के पाराशर ने मेघों को भी नाम दिया

 पूर्व ज्ञान हो वर्षा का उन सूत्रों का निर्माण किया

जान रहे हैं वैज्ञानिक भी इनके कृषि विज्ञान को

स्वर्ण -धरोहर याद करें ,नवभारत के निर्माण को।

 मातृभूमि पर गर्व करें ,करें समर्पित प्राण को।।

वराहमिहिर के महाग्रन्थ का नाम बृहत्संहिता है

ऐसा अनुसंधाता जग में फिर से नहीं हो सकता है

नदी किनारे बैठ ऋषि नें शब्दों का संधान किया

कर नहीं सकते लाखों व्यक्ति पाणिनि ने वो काम किया

आओ जाने शब्दमुनि के इस दिव्य अनुसंधान को

स्वर्ण -धरोहर याद करें ,नवभारत के निर्माण को।

 मातृभूमि पर गर्व करें ,करें समर्पित प्राण को।।

जान रहे हैं पाश्चात्य ग्रहनक्षत्रों को यंत्रों से

भारतीयों ने जाना जिनको ध्यान -योग और मन्त्रों से

राजा जयसिंह ने भी जब अद्भुत मन में ठाना था

पत्थर की दीवारों से ग्रहनक्षत्रों को जाना था

कह रहे हैं जंतर मंतर उस अद्भुत विज्ञान को

स्वर्ण -धरोहर याद करें ,नवभारत के निर्माण को।

 मातृभूमि पर गर्व करें ,करें समर्पित प्राण को।।

 ।               डा. विनोदकुमारशर्मा


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