गणित व संस्कृत

गणित व संस्कृत

गणित के क्षेत्र में भारत का कोई जवाब नहीं है। गणित के अनेक रहस्य संस्कृत के ग्रन्थों में विद्यमान है। आर्यभट्ट का आर्यभट्टीय एवं वराहमिहिर का पंंचसिद्धांतिका , भास्कराचार्य का सिद्धांत शिरोमणि बीजगणितम लीलावती आदि समस्त गणित के ग्रंथ अद्भुत व अद्वितीय है। इसलिए गणित के अध्ययन का माध्यम संस्कृत समुचित है।यद्यपि आज के समय में समस्त विषयों का अनुवाद करके विदेशी भाषाओं में अध्यापन अध्ययन का चलन भारत में चल पड़ा है। इसी के साथ-साथ में बड़ी विडंबना है की गणित का भी अध्ययन अंग्रेजी में किया जाने लगा है। पहाडॉ भी अंग्रेजी में ही बनाए जाने लगे हैं। यह बुद्धि की मलीनता है परतंत्रता व गुलामी की मानसिकता की पराकाष्ठा है, इसके चलते भारतीय भाषाओं में गणित का अध्ययन नहीं करके अंग्रेजी भाषा में गणित का अध्ययन करवाकर के बच्चों की बुद्धि को पंगु बनाया जा रहा है ।जबकि गणित के क्षेत्र में भारत ने एक प्रतिमान स्थापित किया है। संस्कृत के माध्यम से व वैदिक गणित की प्रक्रिया से गणित का अध्यापन व अध्ययन सर्वोत्तम व उपयुक्त है।


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