लेखक: vinodvyas

  • नामकरण में आती हुई विकृतियां-

                                                                                   (कुछ भी नाम रख रहे हैं माता पिता)                                                         संसार में किसी भी व्यक्ति वस्तु या स्थान का कोई न कोई नाम रखा जाना आवश्यक है बिना नाम या उपाधि के संसार में व्यवहार सम्भव नहीं है, इसीलिए नाम को एक संस्कार के रूप में जाना जाता है। नाम से ही व्यक्ति संसार…

  • टोडारायसिंह की जल संरक्षण परम्परा

               ” टोडारायसिंह की जल संरक्षण परम्परा”                   डॉ विनोद कुमार शर्मा  पंचमहाभूतों(  जल- अग्नि -वायु -पृथ्वी -आकाश) के प्रति देवत्व बुद्धि व श्रद्धा भाव भारतवर्ष की परंपरा व संस्कृति का एक हिस्सा है , इसलिए जल आदि तत्वों को देवता मानकर इनका पूजन व संरक्षण समग्र भारत में क्षेत्रीय परम्परा के अनुसार होता चला…

  • सचिन तेंदुलकर के जन्म दिवस पर विशेष

    ” तेंदुलकरस्य देवत्वम् “            चरित्रेण तस्य देवत्वं न हि केवलं क्रीडनात् ( सचिन तेंदुलकर के जन्म दिवस पर विशेष)  खेल जगत के विभिन्न खेलों में संपूर्ण विश्व में यदि किसी खिलाड़ी को भगवान या देवत्व की उपाधि दी गई है तो वह है सचिन तेंदुलकर। सचिन को न केवल भारत ने अपितु संपूर्ण विश्व…

  • संस्कारसम्पादने कालस्य महत्त्वम्

    Published Paper in Vakyarth dipika Journal संस्कारसम्पादने कालस्य महत्त्वम् डॉ विनोदकुमारशर्मा सहायकाचार्य:, संस्कृतप्राच्यविद्यासंस्थानम् , कुरुक्षेत्रविश्वविद्यालय:, कुरुक्षेत्रं ईमेल-vinodsharma8741@gmail.com Mob. No. 8079082916 शोधसारांश: – सर्वेऽपि संस्काराः कालानुसारं कथिता : सन्ति। कालानुसारं विहिताश्च यज्ञा:। कालशास्त्रानुसारन्तु सर्वविध कर्मानुष्ठाने काल : विचारणीय एव। चाणक्योपि ‘नीतिज्ञ: देशकालौ परीक्षेत” इत्युक्त्वा कालप्रभावं सूचयति। कालबलं जानन्त एव ऋषय षड्बलेषु कालबलं स्वीकुर्वान्ति। अकाले वा अनुचिते…

  • पं. स्थाणुदत्त शर्मा स्मृति पाण्डुलिपि केन्द्रं

                    कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र की स्थापना भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद जी के करकमलो से 1956 में संस्कृत विश्वविद्यालय के नाम पर हुई, सबसे पहले संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. गौरी शंकर जी में पाण्डुलिपि के लिए पं. स्थाणुदत्त जी को बुलवाया और कुलपति जी द्वारा नियुक्त करवाया गया। क्योंकि पं. स्थाणुदत्त जी की विद्वता…

  • विकसित भारत

    विकसित भारत हेतु निम्न तथ्यों को अथवा योजनाओं को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया जाना चाहिए                     ” प्राणवायु का अधिकार”                  “Right to Milk 2.  Right to Milk को लागू किया जाना चाहिए। भारत में दुग्ध की शुद्धता व गुणवत्ता पर संदेह  प्राय सभी को है। डेयरी के उत्पादों में 100% शुद्धता…

  • बच्चों का ” दुग्धाधिकार”

     शिवाजी अपने गुरु के कहने पर शेरनी का दूध लेकर आ गए थे आज हम अपने बच्चों के पीनें के लिए गाय का शुद्ध दूध नहीं ला सकते।                    ( शिवाजी जयंती पर विशेष)                                                         डॉ विनोदकुमारशर्मा  वीर शिवा के शौर्य  व पराक्रम के विभिन्न प्रसंगों में व कथाओं में एक प्रसंग यह भी प्रसिद्ध…

  • “छात्रजीवन एवं गीतादर्शन”

                                                                                                                         डॉ. विनोद कुमार शर्मा सहायकाचार्य, संस्कृत एवं प्राच्य विद्या संस्थान कुरुक्षेत्र वि० वि० हरियाणा, भारत। महात्मा गान्धी संस्थान , मॉरिशस द्वारा प्रकाशित वसंत पत्रिका में प्रकाशित पत्र शोधपत्र सारांश :-                            धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में किं कर्तव्यमूढ अर्जुन को भगवान् श्री कृष्ण के द्वारा दिये गये उपदेश समस्त मान‌वजाति के कल्याण का अमोघ मार्ग…

  • संस्कृत नाटक व वर्तमान चलचित्र/ Sanskrit Drama and Films

      1.समाज में परिवर्तन हेतु नाटक आवश्यक है। 2. नाटकों के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन किया जा सकता है। 3.संस्कृत नाटकों से मुख्य तत्वों को उठाकर चलचित्र के  क्षेत्र में प्रयोग किया जा सकता है। 4. संस्कृत नाटक मूलतः भारतीय संस्कृति प्रधान है, अतः उनकी कथावस्तु से वर्तमान सिनेमा में सांस्कृतिक परिवर्तन किया जा सकता…

  • रामायण – एक परिचय

    “   यावत् स्थास्यन्ति गिरयः सरितश्च महीतले ।     तावत् रामायणकथा लोकेषु प्रचरिष्यति  ” वैदिक युग में वेदों , उपनिषदों , आरण्यकों , ब्राह्मण ग्रंथों आदि का अध्ययन अध्यापन होता था । समय बीतने के साथ-साथ वैदिक युग अपनी समाप्ति की ओर था । तभी 500 ईसा पर्व के आसपास महर्षि वाल्मीकि के द्वारा संसार का…

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