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साधु व असाधु शब्द की अवधारणा
साधु असाधु शब्द
संस्कृत व्याकरण के अनुसार साधु व साधु शब्द के प्रयोग का फल कहा गया है। साधु शब्द का अर्थ है वह शब्द जिसका शास्त्र में प्रयोग मिलता है व व्याकरण की दृष्टि से उसकी उत्पत्ति -व्युत्पत्ति की गई है। अर्थात जिन शब्दों को व्याकरण ने व व्याकरण के आचार्यों ने व शास्त्रों ने सम्मति प्रदान की है उन शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है, और वे ही साधु शब्द कहलाते हैं। इसके विपरीत वे समस्त शब्द जो लोक में प्रचलित हो गए हैं, जो अपभ्रंश के रूप में विद्यमान है वे समस्त शब्द असाधु शब्द कहलाते हैं। उदाहरण के लिए गौ शब्द शुद्ध शब्द है क्योंकि इसकी शास्त्रीय उत्पत्ति है परंतु विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में इसके अपभ्रंश प्रचलित है जैसे गाय गोनि , गावी, गोली, गोपोतलिका इत्यादि यह समस्त शब्द असाधु शब्द कहलाएंगे । अतः इन असाधु शब्दों के प्रयोग से कोई धर्म नहीं है अपितु साधु शब्दों के प्रयोग में धर्म व पुण्य की प्राप्ति होती है ऐसा वेद में भी कहा गया है-
“एक: शब्द: सम्यक् ज्ञात: स्वर्गे लोके च कामधुक् भवति”
इस शास्त्रीय पंक्ति का अर्थ है कि एक भी शब्द यदि ठीक प्रकार से व्याकरण की उत्पत्ति के अनुसार जान लिया वह जान करके उसका प्रयोग किया है तो वह शब्द स्वर्ग में व लोक में कामनाओं की पूर्ति करने वाला होता है।
साधु शब्दों का प्रयोग लोक में अथवा यज्ञ में
साधु शब्द का प्रयोग लोक में अथवा यज्ञ में इस विषय में शास्त्रीय प्रमाणों के अनुसार यह स्पष्ट है कि यज्ञ में विशेष रूप से असाधु शब्दों का अथवा अपभ्रंश शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए और असाधु व अपभ्रंश शब्दों का प्रयोग अहित व अकल्याण के लिए होता है जबकि साधु शब्दों का प्रयोग ही यज्ञ में साधु फल देने वाला होता है।
गालियों का प्रयोग है पुण्य का नाश करने वाला
लोक में व सामान्य व्यवहार में भी साधु शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए । लोक व सामान्य व्यवहार में असाधु शब्दों का प्रयोग करने से भी पुण्य का नाश होता है। प्रायः हम यह देखते हैं कि समाज में कई मनुष्य कई लोग ऐसे होते हैं जो बात-बात में अपभ्रंश शब्दों के प्रयोग के साथ गालियों का प्रयोग करते हैं ये गालियां वातावरण को अशुद्ध करती है इसलिए ये पुण्य का नाश करने वाली होती है इसलिए गालियों का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए। वस्तुत लोक में प्रत्येक व्यवहार भी यज्ञ के समान ही है इसलिए सामान्य व्यवहार में भी असाधु शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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