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Author: manojkumarvyas21
अष्टांग योग व आसन का परिचय
अष्टांग योग व आसन का परिचय– भारतीय संस्कृति में योग का महत्व है। योग दर्शन मानव को उत्तम जीवन की प्रेरणा प्रदान करता है। योग दर्शन के प्रमुख ग्रंथों में पतंजलि विरचित योग सूत्रों का भी महत्व है । इन योग सूत्रों में आसन से लेकर अष्टांग योग का अत्यधिक महत्व है ।अष्टांगों में यम,…
राशि परिचय
द्वादश राशि व उनके स्वामी ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र के समूह को राशि कहा गया है। वस्तुतः राशि शब्द का अर्थ ही समूह होता है ।यह समूह किसका ? नक्षत्र का समूह राशि कहलाता है। इन राशियों की संख्या 12 है। एक राशि में सवा दो नक्षत्र के चरण समाहित होते हैं। इस प्रकार 12…
नीति ग्रन्थों में मूर्ख के पांच चिह्न
नीति ग्रन्थ में मूर्ख के पांच चिह्न संस्कृत साहित्य के गद्य भाग के अन्तर्गत नीति साहित्य आता है । नीति साहित्य में नीति ग्रंथ लिखे गए हैं । नीति ग्रन्थ में मानव जाति के कल्याण हेतु व मानव को सामाजिक व्यवहार सीखाने के लिए कथाओं के माध्यम से अथवा प्रसंग के माध्यम से अथवा…
Surya v Sankranti / भारतीय-संस्कृति सूर्य व संक्रांति
सूर्य व संक्रांति यद्यपि संक्रान्ति का सम्बन्ध आकाश में घुमने वाले समस्त ग्रहों के साथ है, तथापि मुख्य रूप से सूर्य की संक्रान्ति ही संसार में पुण्यजनक होने कारण प्रसिद्ध है। सनातन हिन्दू धर्म में मकर संक्रान्ति को एक प्रमुख पर्व (त्यौहार) के रूप में स्वीकार किया गया है। इतना ही नहीं बल्कि धार्मिक ग्रन्थों,…
नीति ग्रन्थ में मूर्ख के लक्षण
नीति ग्रन्थ में मूर्ख के लक्षण संस्कृत साहित्य के गद्य भाग के अन्तर्गत नीति साहित्य आता है । नीति साहित्य में नीति ग्रंथ लिखे गए हैं । नीति ग्रन्थ में मानव जाति के कल्याण हेतु व मानव को सामाजिक व्यवहार सीखाने के लिए कथाओं के माध्यम से अथवा प्रसंग के माध्यम से अथवा प्रकृति…
Vishnushsranam/ विष्णुसहस्त्रनामस्तोत्रम्
श्रीपरमात्मने नमः Vishnushsranam/ विष्णुसहस्त्रनामस्तोत्रम् यस्य स्मरणमात्रेण जन्मसंसारबन्धनात् । विमुच्यते नमस्तस्मै विष्णवे प्रभविष्णवे ॥ नमः समस्तभूतानामादिभूताय भूभृते । अनेकरूपरूपाय विष्णवे प्रभविष्णवे ॥ वैशम्पायन उवाच श्रुत्वा धर्मानशेषेण पावनानि च सर्वशः । युधिष्ठिरः शान्तनवं पुनरेवाभ्यभाषत ॥ १ ॥ युधिष्ठिर उवाच किमेकं दैवतं लोके किं वाप्येकं परायणम् । स्तुवन्तः कं कमर्चन्तः प्राप्नुयुर्मानवाः शुभम् ॥ २ ॥ को धर्मः सर्वधर्माणां…
Shiv Mhiman Stotram शिवमहिम्न स्तोत्रम्
महिम्नः पारन्ते परमविदुषो यद्यसदृशी । स्तुतिब्रह्मादीनामपि तदवसन्नास्त्वयि गिरः ॥ अथावाच्यः सर्वः स्वमतिपरिमाणावधि गृणन् । ममाप्येष स्तोत्रे हर ! निरपवादः परिकरः ।।१।। अतीतः पन्थानं तव च महिमा वाङ्मनसयो- रतद्व्यावृत्त्या यं चकितमभिधत्ते श्रुतिरपि । स कस्य स्तोतव्यः कतिविधिगुणः कस्य विषयः । पदे त्वर्वाचीने पतति न मनः कस्य न वचः ॥२॥ मधुस्फीता वाचः परमममृतं निर्मितवत- स्तवब्रह्मन्किवागपि सुरगुरोविस्मय…
Vikshit Bharat. विकसित भारत की आवश्यकतायें
विकसित भारत हेतु निम्न तथ्यों को अथवा योजनाओं को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया जाना चाहिए ” प्राणवायु का अधिकार” “Right to Milk 2. Right to Milk को लागू किया जाना चाहिए। भारत में दुग्ध की शुद्धता व गुणवत्ता पर संदेह प्राय सभी को है। डेयरी के उत्पादों में 100% शुद्धता लिखी होने…
Jantar-MantarObservatory of Swaijai singh. जन्तर मन्तर
जन्तर मन्तर सवाई जयसिंह ने देश के पांच स्थानों पर वेधशालाओं का निर्माण करवाया। इन्हीं वेधशालाओं को यंत्र मंदिर व वर्तमान में जंतर मंतर भी कहा जाता है। वस्तुतः जंतर मंतर शब्द अपभ्रंश रूप है इसका शुद्ध शब्द है यंत्र मंदिर। यंत्र को ही राजस्थानी भाषा में जन्तर कहा जाने लगा, अर्थात यह शब्द बन…
Knowledge tradition topics. संस्कृतवाङ्मय में ज्ञानविज्ञान परम्परा के विविध विषय-
संस्कृतवाङ्मये ज्ञानविज्ञानपरम्परायां विविधविषया:- संस्कृतवाङ्मये खगोलविज्ञानम्। संस्कृतवाङ्मये नक्षत्रविद्या । संस्कृतवाङ्मये भूगोलतथ्यानि। संस्कृतवाङ्मये नित्योपयोगीनि आयुर्वेदसूत्राणि। धर्मग्रन्थेषु संस्कारा: तन्महत्त्वञ्च। संस्कृतवाङ्मये वास्तुशास्त्रपरम्परा । संस्कृतवाङ्मये जलसंरक्षणसूत्राणि। संस्कृतवाङ्मये नारीसुरक्षासूत्राणि। संस्कृतवाङ्मये पर्यावरणसंरक्षणसूत्राणि। संस्कृतवाङ्मये राजनीतिसूत्राणि। संस्कृतवाङ्मयस्थ- विभिन्ननीतिग्रन्थेषु छात्रोपयोगिसूत्राणि। गीतायां छात्रकल्याणसूत्राणि । धर्मग्रन्थेषु छात्रकल्याणसूत्राणि विद्यार्थिन: नियमाश्च। संस्कृतेअनुसन्धानपरम्परा । संस्कृते गणितस्याध्ययनाध्यापनपरम्परा । संस्कृते गणितस्य प्रसिद्धग्रन्था: ग्रन्थकाराश्च। नीतिग्रन्थेषु आचारोपदेश:। संस्कृत एवं योगशास्त्रम् श्रीमद्भगवद्गीता एवं विविधयोगा: