Your cart is currently empty!
राशि परिचय
द्वादश राशि व उनके स्वामी
ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र के समूह को राशि कहा गया है। वस्तुतः राशि शब्द का अर्थ ही समूह होता है ।यह समूह किसका ? नक्षत्र का समूह राशि कहलाता है। इन राशियों की संख्या 12 है। एक राशि में सवा दो नक्षत्र के चरण समाहित होते हैं। इस प्रकार 12 राशियों में 27 नक्षत्र का समन्वय हो जाता है। 12 राशियाँ क्रमशः है –
मेष वर्ष मिथुन
कर्क सिंह कन्या
तुला वृश्चिक धनु
मकर कुंभ में मीन
राशियों की चर स्थिर संज्ञा–
इन 12 राशियों की विभिन्न प्रकार की संज्ञा होती है ।जैसे -मेष राशि को चर राशि कहा गया है। वृष को स्थिर कहा गया है। व मिथुन को द्विस्वभाव राशि कहा गया है। इस प्रकार से उनकी चर, स्थिर, द्विस्वभाव संज्ञाएं होती है –
मेष-चर | वृष-स्थिर | मिथुन-द्विस्वभाव |
कर्क- चर | सिंह – स्थिर | कन्या-द्विस्वभाव |
तुला- चर | वृश्चिक- स्थिर | धनु-द्विस्वभाव |
मकर – चर | कुंभ- स्थिर | मीन-द्विस्वभाव |
राशियों की पुरुष स्त्री संज्ञा
इनके अतिरिक्त इन 12 राशियों की पुरुष व स्त्री संज्ञा भी होती है। मेष राशि पुरुष संज्ञक है तो वृष राशि स्त्री संज्ञक कहलाएगी। इस प्रकार से अन्य राशियाँ भी होती है –
मेष- पुरुष | वृष-स्त्री | मिथुन- पुरुष |
कर्क- -स्त्री | सिंह – पुरुष | कन्या-स्त्री |
तुला- पुरुष | वृश्चिक- -स्त्री | धनु- पुरुष |
मकर – -स्त्री | कुंभ- पुरुष | मीन-स्त्री |
राशियों के क्रूर व अक्रूर विभाग –
मेष- क्रूर | वृष- अक्रूर | मिथुन- क्रूर |
कर्क- अक्रूर | सिंह – क्रूर | कन्या- अक्रूर |
तुला- क्रूर | वृश्चिक- – अक्रूर | धनु- क्रूर |
मकर – अक्रूर | कुंभ- क्रूर | मीन- अक्रूर |
राशियों के वर्ण भी तय किए गए हैं। वर्ण के अतिरिक्त 12 राशियों के स्वामी भी कहलाते हैं जैसे- मेष का स्वामी मंगल
राशियों के स्वामी–
वृष का स्वामी शुक्र
मिथुन का स्वामी बुध
कर्क का स्वामी चंद्र
सिंह का स्वामी सूर्य
कन्या का स्वामी बुध
तुला का स्वामी शुक्र
वृश्चिक का स्वामी मंगल
धनु का स्वामी बृहस्पति
मकर का स्वामी शनि
कुंभ का स्वामी शनि
मीन का स्वामी बृहस्पति
इस प्रकार इन 12 राशियों की अपने-अपने स्वामी ग्रह होते हैं जो की शुभ अशुभ फल की परिकल्पना में सहायक होते हैं। इस प्रकार इन 12 राशियों शीर्ष मुख आदि विभाग भी प्राप्त होते हैं जो की शुभ अशुभ फल की परिकल्पना में सहायक होते हैं। लघुजातकम में कहा गया है-
शीर्षमुख बाहु हृदयोदराणि कटि वस्ति गुह्य संज्ञानि
उरू जानूजंघेचरणाविति राशयोऽजाद्या:।।
राशियों का शीर्ष आदि विभाग –
मेष- शीर्ष | वृष- मुख | मिथुन- बाहू |
कर्क- हृदय | सिंह –उदर | कन्या- कटी |
तुला- बस्ति | वृश्चिक-गुह्य | धनु-उरू |
मकर –जानू | कुंभ-जंघे | मीन-चरण |
Leave a Reply