नीति ग्रन्थों में मूर्ख के पांच चिह्न

नीति ग्रन्थ में मूर्ख के पांच चिह्न

         संस्कृत साहित्य के गद्य भाग के अन्तर्गत नीति साहित्य आता है । नीति साहित्य में नीति ग्रंथ लिखे गए हैं । नीति ग्रन्थ में मानव जाति के कल्याण हेतु व मानव को सामाजिक व्यवहार सीखाने के लिए कथाओं के माध्यम से अथवा प्रसंग के माध्यम से अथवा प्रकृति के चित्रण के माध्यम से मानव के व्यवहार को समझने का प्रयास किया मनोवैज्ञानिक गया है । नीति ग्रन्थों में कुछ नीति के ग्रंथ अत्यधिक प्रसिद्ध है जैसे भर्तृहरी द्वारा लिखा गया नीति शतकम ,चाणक्य नीति, विदुर नीति ,शुक्र नीति इत्यादि । इन नीति के ग्रन्थों में नीतिशतकम अत्यधिक प्रसिद्ध है । नीति शतकम में 100 श्लोक में विभिन्न विषयों को उद्घाटित किया गया है । इन समस्त विषयों में नीति-शतक में सर्वप्रथम मूर्ख के लक्षण व मूर्ख का चरित्र चित्रण किया गया है, अर्थात इन श्लोकों को मूर्ख प्रकरण/ मूर्ख-पद्धति  कहा जा सकता है । इन श्लोकों  के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया गया है कि सभी चीजों को बदला जा सकता है सब बीमारियों की दवाएं हैं परंतु मूर्ख की कोई दवा नहीं होती ,मूर्ख का कोई समाधान नहीं होता । समुद्र को तेरा जा सकता है हाथी को वश में किया जा सकता है शेर के मुख में रखी हुई मणि को निकाला जा सकता है परंतु मूर्ख को नहीं समझाया जा सकता । अशिक्षित मनुष्य को बड़ी सरलता के साथ समझाया जा सकता है, विद्वान व्यक्ति को भी और भी ज्यादा सरलता से समझाया जा सकता है परंतु मूर्ख व्यक्ति को ब्रह्म भी नहीं समझ सकता । इस प्रकार नीति शतक के आरंभ में मूर्ख की विशेषताओं को दिखाते हुए सावधान किया गया है कि मूर्ख से दूर ही रहना चाहिए । नीति शास्त्र के ग्रंथों में मूर्ख व्यक्ति की पहचान के लिए पांच चिह्न बताएं है –

                   मूर्खस्य पञ्च चिह्नानि गर्वो दुर्वचनं तथा ।

                    हठी चैव विषादी च परोक्तं नैव मन्यते । ।

अर्थात            १. वह गर्व प्रकट करता है ।

                    २. कटुभाषी होता है, बात बात में गली देने वाला भी इसमें आता  है ।

                    ३. हठी या अत्यधिक जिद्दी ।

                    ४. विषादी/ जड़ता से युक्त ।

                   ५. दुसरे की बात को कभी नही मानता है ।

* इन पांच लक्षणों से युक्त व्यक्ति को मूर्ख कहा गया है ।


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