विश्व की समस्याओं का समाधान है गीतादर्शन

              विश्व की समस्याओं का समाधान है गीतादर्शन

 वर्तमान समय में विविध दु:खों व समस्याओं से संतप्त मानव जाति को गीताज्ञान की महती आवश्यकता है। विज्ञान के यांत्रिकीकरण के साथ-साथ समस्याएं भी मानव जाति को मुफ्त में मिली है, जैसे-जैसे समय के साथ इंटरनेट की स्पीड बढ़ती चली जा रही है समस्याएं भी उसी गति से 3G,4G,5G की स्पीड से बढ़ती चली जा रही है।  मोबाइल फोन सुविधांऍ देने के साथ-साथ उतनी ही समस्याएं भी उत्पन्न कर रहा है। समय की बचत के उद्देश्य से बनाया गया कंप्यूटर आज सब के समय को लील रहा है, आज किसी के पास समय नहीं है।बेरोजगारी, गरीबी,  भूखमरी, व्यभिचार, प्रदूषण व बीमारियां बढ़ती ही चली जा रही है। पारिवारिक विखंडन अपने चरमोत्कर्ष पर है। समाज ने गुरुशिष्य परम्परा को तिलाञ्जलि दे दी है। संस्कृति के नाम पर पाश्चात्य सभ्यता हावी हो गई है ।’धर्म’ शब्द का अर्थ सम्प्रदाय माना जाने लगा है। मार-काट मची हुई है। वर्ग-भेद और वर्ण-भेद अग्रसर है। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: जैसे सिद्धान्त पुस्तकों में सिमट कर रह गए हैं। नारियों के अपमान व व्यभिचार के भयंकर वीभत्स उदाहरण आज देखने को मिल रहे हैं इस अवस्था में सर्वत्र घोर अशांति उत्पन्न हो रही है ।ऐसी अवस्था में गीता के अनुसार  धर्मपूर्वक आचरण व सन्मार्ग पर चलने से ही सर्वत्र शान्ति स्थापित हो सकती है। गीता में प्रारंभ से अंत तक कर्ममार्ग पर चलते रहने को ही प्रदान बताया गया है व इसी मार्ग से विश्व में शान्ति सम्भव है। आज हर कोई किंकर्तव्यमूढ होकर अर्जुन की विषाद व मोहग्रस्त अवस्था को पहुंच गया है। ऐसी दशा में सम्पूर्ण विश्व को श्रीकृष्ण के गीताज्ञान की आवश्यकता है।

गीता में आधुनिक समाज की समस्त समस्याओं के समाधान, विविध दुखों के उपशमन के उपाय व परं शान्ति के सूत्रों सार रूप में सरलता के साथ समाहित किया गया है।


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