संस्कृत नाटक व वर्तमान चलचित्र/ Sanskrit Drama and Films

 

1.समाज में परिवर्तन हेतु नाटक आवश्यक है।

2. नाटकों के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन किया जा सकता है।

3.संस्कृत नाटकों से मुख्य तत्वों को उठाकर चलचित्र के  क्षेत्र में प्रयोग किया जा सकता है।

4. संस्कृत नाटक मूलतः भारतीय संस्कृति प्रधान है, अतः उनकी कथावस्तु से वर्तमान सिनेमा में सांस्कृतिक परिवर्तन किया जा सकता है।

5. वर्तमान सिनेमा में किए गए अनेक प्रयोग संस्कृत नाटकों से उठाए गए हैं, भवभूति की नाटक योजना में गर्भांक की योजना को कई फिल्मों में आज भी प्रयोग किया जाता है।

6. संस्कृत नाटकों का वर्तमान में मंचन यद्यपि नहीं हो रहा है अतः संस्कृत नाटकों की भावना को समाज तक पहुंचाने हेतु प्रयोग किये जा सकते है।

7. कठिन नाटकों का हिंदी या अन्य भाषा में रूपांतरण करके मूल शक्तियों को यथावत रखा जा सकता है। 8.सूक्तियां नाटक का प्राण होती है अतः उनका अर्थ दर्शक तक पहुंचना आवश्यक है, इस हेतु सूक्तियां को जैसे हो वैसे दर्शकों तक पहुंचाया जाना आवश्यक है।

 नाट्यशास्त्र में चलचित्र

1.यद्यपि प्रयोगात्मक दृष्टि से रंगमंच में समय के अनुसार बदलाव होते रहते हैं फिर भी नाटक की मूलभूत अवधारणा में अभिनेताओं की चित्तभूमि के निर्माण में नाट्यशास्त्र का महत्व है।

2.नाट्यशास्त्र में कही गई मुद्राओं व अभिनेता के नियमों से कुशल अभिनेता बना जा सकता है।

3.वर्तमान में विकृत हुए सिनेमा को संस्कृत नाटकों व नाट्यशास्त्र के नियमों से परिष्कृत किया जा सकता है। 4.वर्तमान चलचित्र पर यह आरोप है कि इसने समाज में मलीनता फैलाने का कार्य किया है, संस्कृत नाटकों की सहायता से इस आरोप को दूर करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।

5.वर्तमान सिनेमा आज असफल हो रहा है अतः संस्कृत नाटकों के पुनः अध्ययन व नए-नए तथ्यों के अन्वेषण व प्रयोग से सिनेमा को रूपांतरित करके पुनः स्थापित किया जा सकता है।

6. सांस्कृतिक तथ्य वर्तमान सिनेमा की मांग है जिसे संस्कृत नाटक व नाट्य शास्त्र पूरा कर सकते हैं।

               संस्कृत व सिनेमा

1.चलचित्रों में धार्मिक फिल्म,नाटकों व धारावाहिक में संस्कृत का विनियोग संभव है।

2. शुद्ध उच्चारण में संस्कृत का प्रयोग हो सकता है।

3. चलचित्रों की समीक्षा लेखन हेतु संस्कृत की  आवश्यकता होती है।

4. स्तोत्र गायन अथवा किसी मंत्र आदि के पाठ हेतु संस्कृत की आवश्यकता हो सकती है।

5 छोटे-छोटे चलचित्र,गीत, हास्य कणिकाएं आदि का सरल संस्कृत भाषा में निर्माण करके संस्कृत जगत में सिनेमा के संबंध को पुन: स्थापित किया जा सकता है । 6डॉक्यूमेंट्री निर्माण करके


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