विकसित भारत

विकसित भारत हेतु निम्न तथ्यों को अथवा योजनाओं को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया जाना चाहिए

                    ” प्राणवायु का अधिकार”

  1.  हर किसी को प्राणवायु अथवा स्वस्थ श्वास लेने का अधिकार है इसलिए स्वास्थ्य विरोधी व प्रदूषणकारी समस्त क्रियायों पर तुरंत प्रभाव से रोक होनी चाहिए। भारत के हर गली, मोहल्ले, गांव व शहर में यह देखा जाता है कि हर कोई अपने घर दुकान के बाहर कचरा इकट्ठा करके व प्लास्टिक इकट्ठा करके जला देता है। कचरा पात्र में आग लगा दी जाती है जिससे वह कचरा धूं धूं  करके जलता रहता है। पब्लिक प्लेस में हर कोई बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू पीने लगता है जिससे समस्या सबको होती है यहां तक की सरकारी रोडवेज बस में धूम्रपान सख्त वर्जित है परंतु आज तक इस पर किसी पर कोई कार्यवाही तक नहीं हुई धूम्रपान का विरोध करने पर प्राय लोग झगड़ने लगते हैं। जिनके पास महंगी कारें हैं वे प्रदूषण से बच सकते हैं परंतु जो रोड पर चल रहे हैं उन्हें भी तो सांस लेने का अधिकार है इसलिए “Right टू प्राणवायु”  शुरू किया जाना चाहिए।

                 “Right to Milk

2.

 Right to Milk को लागू किया जाना चाहिए। भारत में दुग्ध की शुद्धता व गुणवत्ता पर संदेह  प्राय सभी को है। डेयरी के उत्पादों में 100% शुद्धता लिखी होने पर भी उसकी शुद्धता में सभी को संदेह होता ही है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए दूूध, घी इत्यादि अनिवार्य रूप से आवश्यक है, विशेष रूप से छोटे बच्चों को दूध आवश्यक है ही। वास्तव में दूध बच्चे का अधिकार है। चाहे किसी जाति धर्म का व्यक्ति हो हर कोई चाहता है कि उसके बच्चे को शुद्ध गाय का दूध उपलब्ध हो सके । भारत में आज भी लाखों बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने दूध देखा भी नहीं है व अनेक बच्चे ऐसे हैं जो रोज मिलावटी दूध पी रहे हैं इसलिए कम से कम इतना तो हम कर सकें कि प्रत्येक बच्चे को शुद्ध दूध उपलब्ध हो सके।वीर शिवाजी ने अपने गुरु समर्थ रामदास के कहने पर शेरनी का दूध लाकर दे दिया था, क्या हम अपने बच्चों को शुद्ध गाय का दूध नहीं दे सकते हैं।

3.

शौर्य व वीरता का प्रदर्शन करने वाले नागरिकों व बच्चों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए इस विषय में कई प्रकार के अवार्ड शुरू होने चाहिए। अपने चरित्र की रक्षा हेतु शौर्य प्रदर्शन करने वाली स्त्री को भी रानी पद्मिनी अवार्ड से सम्मानित किया जाना चाहिए।

4.     मातृभाषा के प्रति जागरूकता हेतु मातृभाषा में ही हस्ताक्षर हो इसलिए अभियान चलाकर हस्ताक्षर हिंदी में करने हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए। हस्ताक्षर प्रत्येक मनुष्य का व्यक्तिगत चिन्ह व मुद्रा है हस्ताक्षर से व्यक्ति के व्यक्तित्व का भी पता चलता है इसलिए हस्ताक्षर कम से कम भारतीय देवनागरी लिपि में ही होना चाहिए। दुर्भाग्य का विषय है कि आज पढ़े-लिखे लोगों में गिने-चुने इक्ये दुक्ये  लोग है  जो हिंदी में हस्ताक्षर करते हैं, यहां तक की पहली कक्षा के छोटे बच्चे भी अपने हस्ताक्षर अंग्रेजी में ही कर रहे हैं किसी अन्य देश की भाषा की लिपि में हस्ताक्षर करना स्वयं को परतंत्र घोषित करना ही है।

5.

गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति के पुनर्स्थापना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि गुरुकुल में ही विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव है गुरुकुलों में ही शुद्ध वायु, शुद्ध आहार, शुद्ध व्यवहार, उत्तम स्वास्थ्य व विद्या संभव है। महामना मदनमोहन मालवीय की गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति के स्वप्न को साकार किए जाने की  आवश्यकता है।

6.

Youtube को लेकर सरकार नियम बनाएं क्योंकि यूट्यूब में shorts जैसे कई विकल्प उपलब्ध है जो कि डिलीट नहीं होते हैं यह छोटे-छोटे बच्चों की पर बुरा प्रभाव डाल रहे हैं। यूट्यूब में दिखने वाली reels व shorts को डिलीट करने का विकल्प उपलब्ध होना चाहिए ताकि जब तक हम इसे देखना ना चाहे यह न दिखे।

7.

प्रत्येक विश्वविद्यालय में भारतीयसंस्कृति प्रकोष्ठ का गठन हो। जो भारतीय संस्कृति से संबंधित विभिन्न विषयों पर जागृति हेतु कार्यक्रम योजना बनाएं।

8.

प्ले 11 जैसे ऑनलाइन सट्टे  को बंद किया जाए, ऑनलाइन गेम पर भी पाबंदी हो। अनेक छोटे-छोटे बच्चे व युवा  इसकी आगोश में आकर अपने जीवन को समाप्त कर चुके हैं।

9.

क्रिकेटरों व अभिनेताओं के विज्ञापन के नियम बनाए जाए क्योंकि युवा व बच्चे क्रिकेटर व अभिनेता को अपना आदर्श मानते हुए उन्हें कॉपी करते हैं।अत: इनके द्वारा किए जाने वाले विज्ञापनों के दुष्प्रभाव को जानते हुए उन पर पाबंदी लगाई जाए।

10.

लव जिहाद व धर्मान्तरण को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाये। नारी सुरक्षा हेतु परम्परागत मर्यादाओं का समर्थन किया जाये, संविधान नारी सुरक्षा में सक्षम नहीं है। संवैधानिक मूल्यों से ही नारी सुरक्षा सुनिश्चित होती तो एक साल में ही लाखों रेप केस दर्ज नहीं होते।

11.

नारी सुरक्षा हेतु बनाए गए कानूनो में अधिकांश कानून छेड़छाड़ के विरुद्ध है। परंतु वर्तमान में छेड़छाड़ की जगह  स्त्रियों को सोशल मीडिया  अकाउंट के द्वारा फसाने की घटनाएं ज्यादा हो रही है, छात्राओं को आज वैसे फसाया जा रहा है जैसे मछलियों को जाल डालकर  शिकारी फसाता है, अतः छेड़छाड़ के कानून के साथ ही फसाने की घटना के विरुद्ध भी कानून बनाए।

   12. 

विधवा स्त्री के कम कम एक बच्चे की नौकरी

सुनिश्चित करें,क्योंकि वैधव्य असह्य वेदना देता है। अनाथ बच्चों की देखभाल व नौकरी सुनिश्चित होनी चाहिए।

13

महानगरों में  ट्रेन की पटरियों के किनारे बनी झुग्गियां

समाप्त हो, यह जीवन नारकीय है, लोगों को गांंव में ही रोजगार उपलब्ध हो।

Vinod Kumar Sharma


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