बच्चों का ” दुग्धाधिकार”

 शिवाजी अपने गुरु के कहने पर शेरनी का दूध लेकर आ गए थे आज हम अपने बच्चों के पीनें के लिए गाय का शुद्ध दूध नहीं ला सकते।

                   ( शिवाजी जयंती पर विशेष)

                                                        डॉ विनोदकुमारशर्मा

 वीर शिवा के शौर्य  पराक्रम के विभिन्न प्रसंगों में कथाओं में एक प्रसंग यह भी प्रसिद्ध है कि शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास जी ने शिवाजी की परीक्षा लेने के लिए उन्हें शेरनी का दूध लेने के लिए भेजा  था और शिवाजी  अपने गुरु के कहने पर शेरनी का दूध लेकर के गए थे ,परन्तु आज हम सर्व संपन्न विभिन्न सुविधाओं और आधुनिकतम वैज्ञानिक  उपकरणों  के होते हुए भी अपने बच्चों के लिए शुद्ध दूध की उपलब्धता नहीं करवा पा रहें  हैं ।यद्यपि विभिन्न डेरी प्रकल्पों  के माध्यम से पैक्ड दूध उपलब्ध है लेकिन फिर भी क्या कोई व्यक्ति  यह कह सकता है कि यह दूध 100% शुद्ध है बल्कि हर कोई  डेरी प्रकल्प को लेकर के  संदेह में रहता है ।डेरी प्रकल्प की तो बात क्या आज व्यक्ति की स्वार्थ की पराकाष्ठा इतनी  पहुंच गई है कि आपकी आंखों के सामने भी अगर गाय का दूध निकल रहा हो तो भी  दूध शुद्ध है या नहीं इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। गायों का गोत्व भी इस बात में निर्भर करता है की गाय कम से कम गोचर भूमि तक जाए और  पोस्टिक घास चारे को चरे जिससे कि पोस्टिक गुणवत्ता वाला दूध मिल सके, लेकिन आजकल गोचर भूमि पर अतिक्रमण  कर लेने से यह भी संभव नहीं रहा।

 इसीलिए छोटे बच्चे मिलावटी    कम गुणवत्ता वाला दूध पीने के लिए मजबूर है, और इसके दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं यह हम सभी अच्छी तरह जानते भी हैं लेकिन फिर भी हम उतना पराक्रम नहीं दिखा पाते की अपने बच्चों के लिए कम से कम शुद्ध गाय का दूध उपलब्ध करवाएं

 डॉ हरिओम पवार की कविता हैलाखों बच्चों ने तो दूध देखा भी नहीं है“, वास्तव में कई बच्चे देश में ऐसे हैं जिन्हें पीने के लिए 100 ग्राम दूध भी उपलब्ध नहीं है। दूध बच्चों के विकास का प्रमुख तत्व है और दूध पर बच्चों का अधिकार है इसलिए जिस प्रकार सरकार नेराइट टू फूडएक्ट लागू किया है उसी तरह बच्चों के लिए राइट टू मिल्क और दुग्ध अधिकार एक्ट लागू करना चाहिए जिससे कि हर बच्चे को शुद्ध पौष्टिक दूध की उपलब्धता हो।

आज हमें शिवाजी की जयंती पर उनसे प्रेरणा देने की आवश्यकता है ।जिन्होंने अपने गुरु के कहने पर  शेरनी का दूध उपलब्ध करवा दिया था इसलिए आज हमें विज्ञान के इस युग में अंधानुकरण नहीं करते हुए कम से कम अपने बच्चों को शुद्ध पानी ,शुद्ध हवा ,शुद्ध दूध जैसे मूलभूत तत्वों को उपलब्ध करवाने का पराक्रम दिखाना  चाहिए।


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