तुलसी,अश्वगंधा,हरिद्रा,हरीतकी,आंवला,अर्जुन आदि।

उत्तम स्वास्थ्य ही समस्त धर्म का मूल साधन है । उत्तम स्वास्थ्य के बिना धर्म का संपादन असंभव है । इसीलिए वेदों का प्रथम उपवेद आयुर्वेद ही माना गया है। वेदों में आयुर्वेद की सामग्री शुद्ध रूप में दी हुई है इसी का विस्तार भारतीय आयुर्वेद के ग्रंथों में किया गया है ।भारतीय आयुर्वेद शास्त्र के ग्रंथों में विभिन्न औषधियों के नित्य सेवन से स्वास्थ्य लाभ व दीर्घायु की परिकल्पना की गई है। इन औषधियों के नियमित उपयोग की भारत की परंपरा रही है।  इन औषधियों का प्रयोग एक विधिवत वह शास्त्रीय तरीके से किया जाता है। भारतीय आयुर्वेद में वर्णित ऐसी अनेक औषधियां है जो कि हमारे आसपास होती है जिनका प्रयोग करते हुए हम जीवन को सुखी व निरोग बना सकते हैं। इन्हीं औषधियों में कतिपय औषधियों का परिचय प्रस्तुत है, यथा-

तुलसी

अश्वगंधा

हरिद्रा

हरीतकी

आंवला

अर्जुन आदि।

तुलसी

तुलसी एक औषधीय पादप है जो कि भारत के समस्त भागों में आसानी से पाया जाता है।  तुलसी दो प्रकार की कई गई है श्वेता व  कृष्णा तुलसी । उसी को ही व्यवहार में रामा अथवा श्यामा तुलसी कहा जाता है। दोनों तुलसी यद्यपि गुणों में समान है फिर भी एक लौकिक अवधारणा यह है कि श्यामा तुलसी में औषधीय गुण अधिक होते हैं –

श्वेता कृष्णा द्विधा तुलसी

गुणैस्तुल्या प्रकीर्तिता।।

जबकि देव पूजन में रामा तुलसी के प्रयोग का महत्व है । आयुर्वेद के अनुसार तुलसी में पित्त दोष को दूर करने के गुण होते हैं। अन्य शास्त्रीय प्रमाणों के अनुसार तुलसी को “पाप, पातक व रोग” तीनों दोषों को हरने वाली कहा गया है,यथा –

दूर्वा हरति पापानि

आमलं पातकं हरेत्।

हारीतकी हरेद्रोगं,

तुलसी हरति त्रयम्।।

 तुलसी को भारतीय संस्कृति में माता का स्थान प्राप्त है प्रत्येक घर के मध्य भाग में अथवा ईशान कोण में तुलसी के स्थान की कल्पना किया जाना भारतीय परंपरा व वास्तु शास्त्र सम्मत घर का  हिस्सा है।

आंवला

आंवला प्रकृति की एक अदभुत औषधि है जो की विशिष्ट गुणों से संपन्न है। आंवला में तीनों दोषों को दूर करने का सामर्थ्य होता है। आंवला ही वह एक औषधीय फल है जिसमें “विटामिन सी” कभी नष्ट नहीं होता। आंवला के किसी भी प्रारूप में विटामिन सी हमेशा ही रहता है आंवला विभिन्न रोगों को दूर करने में काम आता है । आंवला के ही अन्य नामों में आंवला, आंमला, आंवरा, अथवा आमलकम प्रसिद्ध है।

हरिद्रा

हल्दी भारतीय रसोई का परंपरागत रूप से हिस्सा है जो कि नियमित रूप से विभिन्न शाक पदार्थों में काम में लिया जाता है । हल्दी एक स्वाभाविक एंटीबायोटिक हैं जो कि रक्त शुद्धि में भी सहायक होता है। हल्दी वह आयुर्वेदिक औषधि है जो कि भारत के विभिन्न भागों में आसानी से पाई जाती है । हल्दी का अर्थ है कि पीतवर्ण को प्राप्त होने वाला पदार्थ हरिं पीतवर्णं द्राति इति। हल्दी के विभिन्न प्रकार पाए जाते हैं जैसे आमा हल्दी, दारूहल्दी इत्यादि। हल्दी का विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग के साथ-साथ सौंदर्य वर्धक सामग्रियों में भी प्रयोग होता है।

अश्वगन्धा

 रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधियों में अश्वगंधा का विशेष महत्व है। अश्वगंधा का महत्व कोरोना की महामारी के समय में  बहुत अधिक बढ़ गया था। अश्वगंधा शब्द का अर्थ है अश्व के मूत्र की गन्ध के समान गंध है जिसमें । अश्वगंधा शुक्राणु से संबंधित रोगों के उपचार हेतु व बलवर्धक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है


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