मातृभाषा संस्कृति व बाल विकास

  2 एकम 2 पढ़ाने वाले विद्यालय ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे हैं

                     (मातृभाषा दिवस पर विशेष)

 आज यद्यपि मातृभाषा दिवस को हर कोई अपने स्टेटस पर मातृभाषा में ही अध्ययन -अध्यापन, पठन-पाठन ,लेखन व व्यवहार की बात कर रहा है। इसके साथ ही भारतीय शिक्षा नीतियों में भी विभिन्न शिक्षा आयोगों ने भी मातृभाषा में अध्ययन को बल दिया है कई महापुरुषों ने मातृभाषा में अध्ययन को समुचित बताया है। किसी भी विषय को सरलता से समझने के लिए मातृभाषा में ही उसे समझा जाना आवश्यक भी है। अनुसंधान भी इस बात को कहते हैं कि बालक के लिए किसी भी विषय को समझने में मातृभाषा ही सबसे सरल रहती है।  प्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने इस बात को स्वीकारा है कि अंग्रेजी केवल अपने आप को कुछ लोगों से अलग करने का माध्यम है यह व्यर्थ का गर्व उत्पन्न करती है जबकि किसी भी बात व  किसी भी विषय को समझने के लिए मातृभाषा के अतिरिक्त कोई उत्तम साधन हो नहीं सकता। आजादी के 75 वर्ष बाद भारत की नई शिक्षा नीति में इस बात को स्वीकारा गया है कि बच्चों के विकास के लिए उसे प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जानी चाहिए। इससे पूर्व तक 75 वर्षों तक हमने एक बहुत बड़ी  विद्यार्थियों की पीढ़ी  विदेशी भाषा में ही प्रारंभिक शिक्षा में रट्टा मारने में निकाल दी। आज जब मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है तो हर कोई महापुरुष के विचारों को अपने स्टेटस पर लगा करके इस बात पर जोर दे रहा है कि मातृभाषा ही बालक के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण भाषा है।

 परन्तु यह बात केवल मातृभाषा दिवस दिन ही  निकलकर के आती है ।इसके अतिरिक्त वास्तविकता यह है कि हिंदी मीडियम के स्कूल ढूंढे भी नहीं मिल रहे हैं यदि आप छोटे बच्चे के एडमिशन के लिए स्कूल में जाकर के हिंदी मीडियम में  अध्ययन की बात करते हैं तो  उस स्कूल का प्रधानाध्यापक आपको  एेसे देखता जैसे  आपने कोई गुनाह कर दिया हो और वह संस्था अध्यापक आपके विषय में  अवधारणा बना लेता है कि या तो आप गरीब होंगे या पुराने ख्यालों के ह या आप आधुनिकता से परिचित नहीं है इत्यादि। जबकि असलियत यह है की मातृभाषा में ही गणित, विज्ञान ,सामाजिक , इतिहास इत्यादि विषयों का अध्ययन करने वाले विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों से अधिक अंक प्राप्त करते हैं ।

गणित के अध्ययन के लिए सर्वोत्तम है मातृभाषा –

गांव में रहने वाले विद्यार्थियों( हिंदी मीडियम के विद्यार्थियों को) को भले ही हिंदी में ठीक से बोलना नहीं आए  फिर भी वे  गणित में 100 में से 100 नंबर लेकर के आ रहे हैं। गणित के अध्ययन में तो भारत तब तक महारथी था जब तक वह मातृभाषा में गणित का अध्ययन करता आया है ,परन्तु जब से अंग्रेजी माध्यम से गणित का  अध्ययन होने लगा है भारत में गणित के विद्वान होना ही बंद हो गए, जबकि गणित का आविष्कार तक भारत में हुआ है ।भारत में सुप्रसिद्ध गणितज्ञों में लीलावती, आर्यभट्ट ,ब्रह्मगुप्त, रामानुजन्,भास्कर आचार्य, श्रीधराचार्य आदि विभिन्न विद्वानों ने गणित का अध्ययन मातृभाषा व  संस्कृत में किया था। उन्होंने विश्व को गणित के विभिन्न सिद्धांत व प्रमेय दिए हैं।

 भारत कभी इंग्लैंड नहीं बन सकता-

 आजकल मातांए अपने छोटे-छोटे बच्चों को अंग्रेजी वर्णों की वर्णमाला उस प्रकार रटाने  में लग रही है मानो कल ही भारत इंग्लैंड बनने वाला हो परंतु भारत का कोई भी बच्चा पूर्णत: अंग्रेज नहीं बन सकता क्योंकि संस्कृति उसकी भारतीय है उसे जगह-जगह हिंदी के शब्द सुनने को मिलेंगे। व्यवहार में बाजार में समाज में उसे  मातृभाषा से ही पाला पड़ने वाला है इसलिए वह पूर्णत:  अंग्रेज नहीं बन सकता। विद्यालयों में भी अंग्रेजी मीडियम विद्यालयों में भी टीचर आधी अंग्रेजी आधी  मातृभाषा ही बोलते हैं। वे भी पूर्णतया अंग्रेजी नहीं बोल सकते। अंग्रेजी माध्यम से गणित पढ़ाने वाले अध्यापकों में यह एक परंपरा है कि वह गणित को पढ़ाते समय 2 गोले में 3 गोले ऐड कर दो तो कितने गोले हुए   इस प्रकार की अंग्रेजी से बच्चा आधा अंग्रेज आधा  हिंदी ही रहनें वाला है।

 शिक्षामंत्री का चिंतनशील होना जरूरी

 किसी भी देश के लिए उसके बच्चे और युवा पीढ़ी उस देश का भविष्य है और उनकी अध्ययन अध्यापन की व्यवस्था अध्ययन अध्यापन की नीति नियमों की जिम्मेदारी शिक्षा मंत्री की है इस लिहाज से शिक्षा मंत्री पर एक बहुत बड़ा दायित्व होता है। शिक्षा मंत्री को चाहिए कि जिस किसी भी प्रकार से बालकों का सर्वांगीण विकास हो सके ,वे विषय को ठीक से समझ सके उस प्रकार के प्रकल्प उसे हमेशा सोचने चाहिए ।इसलिए शिक्षा मंत्री का लगातार चिंतनशील होना अत्यावश्यक है। दुर्भाग्य है कि आजकल देश में शिक्षामंत्री परीक्षा में नकल के आरोपों में घिरे होते हैं।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

en_USEnglish