भास व उसके नाटक

 

भास के १३ नाटक

भास के नाटकों को कथा-स्रोत की दृष्टि से चार भागों में बाँटा जा सकता है।

(1) उदयन-कथा-मूलक–(१) प्रतिज्ञायौगन्धरायण, (२) स्वप्नवासवदत्तम् ।

 (2) महाभारत-मूलक-(३) ऊरुभंग, (४) दूतवाक्य, (५) पञ्चरात्र, (६) बालचरित, (७) दूतघटोत्कच, (८) कर्णभार, (९) मध्यमव्यायोग। ( )

(3) रामायण-मूलक–(१०) प्रतिमानाटक, (११) अभिषेकनाटक ।

 (4) कल्पना-मूलक–(१२) अविमारक, (१३) चारुदत्त ।

 भास के नाटकों की संक्षिप्त कथा-

(१) प्रतिज्ञायौगन्धरायण-

इस नाटक में चार अंक हैं। उदयन को  कृत्रिम हाथी के द्वारा  बंदी बना लिया जाता है ,उदयन के वासवदत्ता से प्रेम और विवाह का वर्णन है। मन्त्री यौगन्धरायण के द्वारा उदयन को प्रद्योत के यहाँ से छुड़ाने और उसकी  स्वामीभक्ति व बुद्धिमत्ता व नीतिमत्ता का वर्णन है।

(२) स्वप्नवासवदत्तम्-

यह भास का सुप्रसिद्ध नाटक है ।इस नाटक में ६ अंक हैं। मन्त्री यौगन्धरायण का लावाणक ग्राम में ‘वासवदत्ता अग्नि में जलकर मर गई’ इस प्रवाद को फैला कर उदयन का पद्मावती से विवाह कराना तथा उदयन के अपहृत राज्य को पुनः प्राप्त कराने का वर्णन है। इस नाटक में योगन्धरायण वासवदत्ता को न्यास के रूप में रखता है व  उदयन वासवदत्ता को स्वप्न में देखता है।

(३) ऊरुभङ्ग–

यह एकांकी नाटक है। द्रौपदी के अपमान के प्रतिकारस्वरूप भीम द्वारा दुर्योधन की जंघा को भंग करके प्रतिज्ञा पूर्ण करते हुए उसको मारने का वर्णन है।  यह संस्कृत साहित्य में एकमात्र दुखांत नाटक माना जाता है।

(४) दूतवाक्य-

यह भी एकांकी नाटक है। महाभारत के युद्ध से पूर्व श्रीकृष्ण का पाण्डवों की ओर से सन्धि का प्रस्ताव लेकर दुर्योधन के पास जाना का वर्णन है  ।श्री कृष्ण विफल मनोरथ होकर लौटते हैं ।

 (५) पंचरात्र-

इस नाटक में तीन अंक हैं । यज्ञ की समाप्ति पर कौरव और पांडवों के मध्य विवाद की समाप्ति की दृष्टि से द्रोणाचार्य ने दुर्योधन से दक्षिणा माँगी कि पाण्डवों को आधा राज्य दे दो। दुर्योधन ने कहा की यदि पाँच रात्रि के अन्दर पाण्डव मिल जाएँगे तो आधा राज्य दे दूंगा। द्रोण के प्रयत्न से पाण्डव मिलते हैं और आधा राज्य प्राप्त करते हैं।

(६) बालचरित

-इस नाटक में पांच अंक हैं। इसमें श्रीकृष्ण के जन्म व   बाल लीलाओं से लेकर के कंस-वध तक की कथा वर्णित है।

(७) दूतघटोत्कच-

यह एकांकी नाटक है। अभिमन्यु की मृत्यु के बाद श्रीकृष्ण  घटोत्कच को दूत बनाकर धृतराष्ट्र के पास भेजते ह  और दुर्योधन द्वारा उसका अपमान किया जाता ह। दुर्योधन कहता है कि-‘मैं इसका उत्तर बाणों से दूंगा’।

(८) कर्णभार-

यह एकांकी नाटक है। इसमें कर्ण का ब्राह्मण-वेषधारी इन्द्र को कवच और कुंडल दान में देने का वर्णन है । इंद्र अर्जुन की रक्षा के लिए कवच कुंडल मांगते हैं।

(9) मध्यमव्यायोग-

यह व्यायोग नामक एकांकी नाटक है। मध्यम पाण्डव भीम के द्वारा घटोत्कच के हाथ से एक ब्राह्मण के मध्यम पुत्र को घटोत्कच से बचाने का वर्णन है । भीम अपने पुत्र घटोत्कच को देखकर आनन्दित होता है तथा पत्नी हिडिम्बा से उसका पुनर्मिलन होता है। इसमें लौकिक जीवन में मध्यम पुत्र को किस प्रकार क्या करना पड़ता है इसके प्रति व्यंग्य किया गया है।

(१०) प्रतिमानाटक–

इस नाटक में सात अंक हैं। इसमें रामायण की कथा संक्षेप में वर्णित है। इसमें राम का राज्याभिषेक रुकना, १४ वर्ष का वनवास, प्रतिमा भवन में  पूर्वजों के मध्य दशरथ की प्रतिमा देखकर भरत को दशरथ की मृत्यु का ज्ञान, अयोध्या में बिना आए भरत का राम के पास जाना, पादुका लेकर लौटना, सीताहरण, रावणवध, राम-राज्याभिषेक आदि का वर्णन है।

(११) अभिषेकनाटक-

इस नाटक में ६ अंक हैं। इसमें रामायण के किष्किन्धा काण्ड से युद्धकांड तक की सारी कथा संक्षेप में दी गई है। सुग्रीव विभीषण  के राज्याभिषेक के पश्चात रावण-वध के पश्चात् राम के राज्याभिषेक का वर्णन है।

 (१२) अविमारक-

इस नाटक में ६ अंक हैं। इसमें राजकुमार में अविमारक का राजा कुन्तिभोज की पुत्री कुरंगी के साथ प्रणय-विवाह का वर्णन है ।

(13) चारुदत्त-

इस नाटक में चार अंक हैं। इसमें निर्धन किन्तु उदारमना ब्राह्मण चारुदत्त और वसन्तसेना नाम की वेश्या के प्रणय का वर्णन है। इसमें कथा अधूरी है। यह माना जाता है कि इसी नाटक के आधार के पर शूद्रक ने अपना मृच्छकटिक प्रकरण लिखा है और भास की कथा को पूर्ण किया है।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

en_USEnglish