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ज्ञान परम्परा में भवभूति व उनके नाटक
मालतीमाधवम्
यह १० अंकों का प्रकरण है। इसमें मंत्री पुत्र नायक है ।इसमें मालती और माधव तथा मकरन्द और मदयन्तिका के प्रणय और परिणय का वर्णन है। अंकानुसार कथा इस प्रकार है–
(अंक १) माधव विदर्भ राज के मन्त्री देवराज का पुत्र है और मालती पद्मावती-नरेश के मन्त्री भूरिवसु की पुत्री है। दोनों मन्त्रियों ने पहले से तय कर रखा था कि वे अंपने पुत्र और पुत्री का विवाह कर देंगे। नन्दन, जो ‘पद्मावतीनरेश का सचिव है, मालती पर आसक्त है और राजा की सहायता से मालती से विवाह करना चाहता है। मदयन्तिका नन्दन की बहिन और मालती की सखी है। वह माधव के मित्र मकरन्द की प्रेमिका है। कामन्दकी दोनों मन्त्रियों की मित्र है और चाहती है कि मालती-माधव का विवाह हो जाए । कामन्दकी संन्यासिनी हो गई है और सौदामिनी तथा अवलोकिता दोनों उसकी शिष्याएं हैं। मदनोद्यान में माधव और मालती एक दूसरे को देखकर मुग्ध हो जाते हैं। मकरन्द और मदयन्तिका के प्रणय की भी सूचना मिलती है। नन्दन भी मालती से विवाहके लिए राजा से प्रार्थना करता है।
(अंक २) राजा के आदेशानुसार भूरिवसु मालती का विवाह नन्दन से करने को उद्यत है। कामन्दकी मालती को तैयार कर लेती है कि वह माधव से गन्धर्व विवाह कर ले।
(अंक ३) कामन्दकी के प्रयत्न से मालती और माधव शिवमन्दिर के कुन्ज में मिलते हैं। वहीं आई हुई मदयन्तिका पर शेर आक्रमण करता है, मकरन्द शेर को मार देता है; किन्तु घायल होकर अचेत हो जाता है।
(अंक ४) होश में आने पर मकरन्द मदयन्तिका को देखकर उस पर मुग्ध हो जाता है। नन्दन और मालती के विवाह का निर्णय हो गया है और तदर्थ मदयन्तिका को बुलाया जाता है । इससे निराश माधव सिद्धि के लिए श्मशान घाट का आश्रय लेता है।
(अंक ५) अघोरघण्ट की शिष्या कपालकुण्डला बलि के लिए मालती को लाती है। वध्यस्थल पर संयोगवश माधव पहुँच जाता है और अघोरघण्ट को मारकर मालती को बचा लेता है।
(अंक ६) कपालकुण्डला गुरु के वध की प्रतिज्ञा करती है। मालती और नन्दन के विवाह की तैयारी होती है। षड्यन्त्र द्वारा मालती-वेषधारी मकरन्द से नन्दन का विवाह हो जाता है। उधर कामन्दकी मालती और माधव का गान्धर्व-विवाह करा देती है।
(अंक ७) सुहागरात के समय मालती-वेषधारी मकरन्द अपने पति नन्दन की पिटाई करता है। उलाहना देने के लिए आई हुई मदयन्तिका को मकरन्द अपनी वास्तविकता प्रकट करता है और दोनों मालती-माधव से मिलने के लिए उद्यान की ओर जाते हैं।
(अंक ८) लड़की भगाने के आरोप में पुलिस वाले मकरन्द को पकड़ते हैं। सूचना पाकर माधव भी वहाँ आ जाता है और दोनों मिलकर सिपाहियों को परास्त करते हैं। उनकी वीरता से प्रसन्न होकर राजा उन्हें अभयदान देता है। लौटने पर उन्हें मालती नहीं मिलती है। उसे कपालकुण्डला भगा ले गई है।
(अंक 9) सौदामिनी मालती को बचा लेती है और उसे माधव से मिला देती है।
(अंक १०) मालती के शोक में भूरिवसु, कामन्दकी, मदयन्तिका आदि अात्मघात के लिए तैयार हैं। मालतीमाधव के जीवित होने की सूचना देकर सौदामिनी और मकरन्द उन्हें बचाते हैं। राजा की आज्ञा से मकरन्द और मदयन्तिका का विवाह हो जाता है । कामन्दकी की योजनाएं सफल होती हैं।
महावीरचरितम्
इसमें ७ अंकों में राम के विवाह से लेकर राम-राज्याभिषेक तक रामायण की कथा वर्णित है। अंक अनुसार कथा निम्न प्रकार से है
(अंक १) शिव-धनुष तोड़ कर राम सीता से विवाह करते हैं। इस पर रावण अत्यन्त क्रुद्ध है।
(अंक २) रावण का मंत्री माल्यवान् राम के विरुद्ध परशुराम को उकसाता है।
(अंक ३) राम-परशुराम के वाक्-युद्ध और युद्ध का वर्णन है।
(अंक ४) परशुराम की पराजय होती हैं। माल्यवान् के षड्यन्त्र से शूर्पणखा कैकेयी की दासी मन्थरा के रूप में कैकेयी का पत्र राम को देती है कि दशरथ के वरदान के अनुसार राम १४ वर्ष वन में रहें और भरत राजा बनें ।
(अंक ५) सीता-हरण; जटायु-रावण-युद्ध; विभीषण का राम से मिलना; वालि-वध और सुग्रीव-मैत्री का वर्णन है।
(अंक ६) राम-रावण युद्ध; रावण वध ।
(रावण७) सीता की अग्निपरीक्षा; राम का अयोध्या आना और उनका राज्याभिषेक ।
उत्तररामचरितम्
इसमें ७ अंकों में रामायण के उत्तरकाण्ड की कथा वर्णित है। इसमें लोकापवाद के कारण सीता का परित्याग, राम-विलाप, अश्वमेध यज्ञ ,लव-कुश-प्राप्ति और राम के द्वारा निर्दोष सीता स्वीकार किए जाने का वर्णन है। अंक के अनुसार सारगर्भित कथा निम्न प्रकार से है-
(अंक १) राम चित्रवीथी में सीता को सीता के विवाह लेकर अग्निशुद्धि तक के चित्र दिखाते हैं। दुर्मुख द्वारा प्राप्त सूचना के अनुसार लोकापवाद के कारण वे सीता परित्याग करते हैं।
(अंक २) द्वितीय अंक का नाम पंचवटी प्रवेशांक है ।वन में लव और कुश का जन्म, राम का अश्वमेधयज्ञ, लक्ष्मण पुत्र चन्द्रकेतु का अश्वमेधीय अश्व का रक्षक होना, शम्बूकवध ।
(अंक ३) राम का पंचवटी में पुनरागमन; पूर्व घटनाओं को स्मरण कर मूर्छित होना और अदृश्य सीता( छाया रूपा )द्वारा होश में लाया जाना; अश्वमेध-यज्ञ में सीता की स्वर्ण प्रतिमा रखना। तृतीय अंक का नाम छायांक प्रसिद्ध है।
(अंक ४) वाल्मीकि के आश्रम में वसिष्ठ, अरुन्धती, जनक, कौसल्या आदि का आगमन; कौशल्या जनक का संवाद ,बालक लव का दर्शन; अश्वमेधीय अश्व को पकड़ने के लिए लव का प्रस्थान।
(अंक ५) लव द्वारा जृम्भक अस्त्र का प्रयोग; चन्द्रकेतु और लव का युद्ध के लिए तैयार होना। इस अंक का नाम “कुमार पराक्रम” है
(अंक ६) लव और चन्द्रकेतु का दिव्य अस्त्रों से घोर युद्ध; राम का आगमन ; युद्ध बन्द होना; कुश का आगमन; राम का अनुमान कि लव-कुश सीता के पुत्र हैं। इस अंक का नाम “कुमाराभिज्ञान” है
(अंक ७) वाल्मीकि के आश्रम में ‘गर्भनाटक’ का अभिनय ; सीता को निर्दोष सिद्ध करना; लव-कुश और सीता से राम का मिलन। गर्भांक नाटक की योजना इस अंक में की गई है ।इस अंक का नाम “सम्मेलन” है। इस प्रकार नाटक का सुखद अंक होता है।
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