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गृह परिचय
गृह परिचय—
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की संख्या 9 मानी गई है । यद्यपि जातक ग्रंथों में लघु जातक के प्रणेता वराह मिहिर ने अपने ग्रंथों में ग्रहों की संख्या ०७ ग्रहों की संख्या साथ ही स्वीकार की है पुनरपि फल की कल्पना के लिए ग्रहों की संख्या 9 मानी गई है। नौ ग्रह क्रमशः है-
सूर्य
चंद्र
मंगल
बुध
गुरु
शुक्र
शनि
राहु
केतु
इन नौ ग्रहों की अपनी अपनी राशियां होती है तथा काल पुरुष के विभिन्न अंगों का प्रतिनिधि भूत यह ग्रह होते हैं जैसे सूर्य काल पुरुष की आत्मा होता है चंद्रमा काल पुरुष का मन है मंगल काल पुरुष का बाल है बुद्ध काल पुरुष का वाणी है गुरु काल पुरुष का ज्ञान व सुख है शुक्र काल पुरुष का वीर्य है शनि काल पुरुष का दुख है इस प्रकार इन ग्रहों को आत्मा आदि विभाग के रूप में बांटा गया है-
आत्मा रवि: शीतकरस्तु चेत:
सत्वं धराज: शशिजोऽथ वाणी।
ज्ञानसुखं चन्द्रगुरुर्मदश्च
शुक्र: शनि: कालनरस्य दु:खम्।।
सूर्य | आत्मा |
चन्द्र | चेत/ मन |
मंगल | बल |
बुध | वाणी |
गुरु | ज्ञान ,सुख |
शुक्र | मद /वीर्य ,रज |
शनि | दुःख |
ग्रह | राशि |
सूर्य | सिंह |
चन्द्र | कर्क |
मंगल | मेष, वृश्चिक |
बुध | कन्या , मिथुन |
गुरु | धनु , मीन |
शुक्र | वृष , तुला |
शनि | मकर, कुम्भ |
इन ग्रहों के अपने-अपने स्वरूप ,वर्ण ,आकृति ,राशियाँ इत्यादि भी होते हैं इन नौ ग्रहों के राजा आदि विभाग भी प्राप्त होते हैं जैसे सूर्य व चंद्र को राजा कहा गया है।
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