अन्तराष्ट्रीय गीता जयन्ती महोत्सव / International Geeta Jayanti

गीता जयन्ती महोत्सव के विविध रंग

Anju Rani

        गीता महोत्सव पारम्परिक हिन्दु चंद्र कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह (नवंबर-दिसंबर) के शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन मनाया जाता है यह मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन है। इस साल (2024) में गीता जयंती महोत्सव 28 नवंबर 2024 से 15 दिसंबर 2024 तक चला। यह उत्सव कुरुक्षेत्र के एक महत्त्वपूर्ण स्थल ब्रह्म सरोवर पर आयोजित किया जाता है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र-युद्ध के दौरान अर्जुन को भगवद्‌गीता का उपदेश दिया था।
       गीता जयंती समारोह कुरुक्षेत्र का एक लोकप्रिय मेला है। मुझे भी इस मेले में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं मेरे परिवार जनों के साथ इस मेले में गयी। इस मेले में यज्ञ, गीता पाठ, भजन, सायंकालीन आरती, विभिन्न राज्यों से आए कलाकार और उनका अपने राज्यों से सम्बन्धित लोकप्रिय नृत्य और नाटक हरियाणवी धरोहर की झलक, उज्बेकिस्तान व तजाकिस्तान से आए कलाकारों की हाथ से बनी वस्तुएं, जेल के कैदियों के द्वारा निर्मित लकड़ी का फर्नीचर. , दूसरे राज्यों से आए शिल्पकार व उनके द्वारा बनायी गयी चीजें, तंजानिया पवेलियन, उडीसा पवेलियन और हरियाणा पवेलियन में तंजानिया देश की लोकप्रिय वस्तुएं व नृत्यों का एग्जीबिशन , उड़ीसा का नृत्य और हरियाणा की हस्त निर्मित घरेलू वस्तओं व संस्कृति को दर्शाने वाली वस्तुओं की स्टाल देखने का सुअवसर मिला। इस बार तंजानिया पार्टनर देश और ओडिशा पार्टनर राज्य बना था।
     विभिन्न प्रकार के व्यञ्जन जैसे गोहाना की मशहूर देशी घी की जलेबियाँ, कश्मीर व हिमाचल प्रदेश के सुखे मेवे, पिज्जा, बर्गर, डोसा, गोलगप्पे , पापड़, फ़्रूट आइसक्रीम ,विभिन्न प्रकार के जूस इत्यादि का हमने स्वाद चखा और पूरे ब्रह्मसरोवर पर घूमते-घूमते वहाँ लगी विभिन्न प्रकार की दुकाने और आकर्षित करने वाले उनके सामान को देखने का आनन्द उठाया। हम कुछ देर ब्रह्म- सरोवर की सीढियों पर भी बैठे और शांत जल को निहारते रहे । शाम को ब्रह्म- सरोवर अत्यधिक मोहक लग रहा था। लाइटों की अनेक प्रकार की रोशनियाँ, लड़ियाँ मन को प्रफुल्लित कर रही थीं ।हम सभी वहाँ लगे झूलों की तरफ आकर्षित हुए। वहाँ पर 20₹ प्रति व्यक्ति टिकट देकर हमने अंदर प्रवेश किया। वहाँ बहुत प्रकार के झूले व मनोरंजन के साधन थे। मैंने एक झूला झूलने का आनन्द लिया और फिर वहाँ हर तरफ सुंदर नजारा देखने के पश्चात् हम घर के लिए निकल पड़े। मेरा गीता जयंती महोत्सव में जाने का यह दूसरा अवसर था । परन्तु अबकी बार इसका भरपूर आनन्द उठाया और अन्य बहुत से रिश्तेदारों को इसके विषय में बताया।

कोमल शर्मा

        गीता महोत्सव पारम्परिक हिन्दु चंद्र कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह (नवंबर-दिसंबर) के शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन मनाया जाता है यह मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन है। इस साल (2024) में गीता जयंती महोत्सव 28 नवंबर 2024 से 15 दिसंबर 2024 तक चला। यह उत्सव कुरुक्षेत्र के एक महत्त्वपूर्ण स्थल ब्रह्म सरोवर पर आयोजित किया जाता है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र-युद्ध के दौरान अर्जुन को भगवद्‌गीता का उपदेश दिया था।
       गीता जयंती समारोह कुरुक्षेत्र का एक लोकप्रिय मेला है। मुझे भी इस मेले में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं मेरे परिवार जनों के साथ इस मेले में गयी। इस मेले में यज्ञ, गीता पाठ, भजन, सायंकालीन आरती, विभिन्न राज्यों से आए कलाकार और उनका अपने राज्यों से सम्बन्धित लोकप्रिय नृत्य और नाटक हरियाणवी धरोहर की झलक, उज्बेकिस्तान व तजाकिस्तान से आए कलाकारों की हाथ से बनी वस्तुएं, जेल के कैदियों के द्वारा निर्मित लकड़ी का फर्नीचर. , दूसरे राज्यों से आए शिल्पकार व उनके द्वारा बनायी गयी चीजें, तंजानिया पवेलियन, उडीसा पवेलियन और हरियाणा पवेलियन में तंजानिया देश की लोकप्रिय वस्तुएं व नृत्यों का एग्जीबिशन , उड़ीसा का नृत्य और हरियाणा की हस्त निर्मित घरेलू वस्तओं व संस्कृति को दर्शाने वाली वस्तुओं की स्टाल देखने का सुअवसर मिला। इस बार तंजानिया पार्टनर देश और ओडिशा पार्टनर राज्य बना था।
     विभिन्न प्रकार के व्यञ्जन जैसे गोहाना की मशहूर देशी घी की जलेबियाँ, कश्मीर व हिमाचल प्रदेश के सुखे मेवे, पिज्जा, बर्गर, डोसा, गोलगप्पे , पापड़, फ़्रूट आइसक्रीम ,विभिन्न प्रकार के जूस इत्यादि का हमने स्वाद चखा और पूरे ब्रह्मसरोवर पर घूमते-घूमते वहाँ लगी विभिन्न प्रकार की दुकाने और आकर्षित करने वाले उनके सामान को देखने का आनन्द उठाया। हम कुछ देर ब्रह्म- सरोवर की सीढियों पर भी बैठे और शांत जल को निहारते रहे । शाम को ब्रह्म- सरोवर अत्यधिक मोहक लग रहा था। लाइटों की अनेक प्रकार की रोशनियाँ, लड़ियाँ मन को प्रफुल्लित कर रही थीं ।हम सभी वहाँ लगे झूलों की तरफ आकर्षित हुए। वहाँ पर 20₹ प्रति व्यक्ति टिकट देकर हमने अंदर प्रवेश किया। वहाँ बहुत प्रकार के झूले व मनोरंजन के साधन थे। मैंने एक झूला झूलने का आनन्द लिया और फिर वहाँ हर तरफ सुंदर नजारा देखने के पश्चात् हम घर के लिए निकल पड़े। मेरा गीता जयंती महोत्सव में जाने का यह दूसरा अवसर था । परन्तु अबकी बार इसका भरपूर आनन्द उठाया और अन्य बहुत से रिश्तेदारों को इसके विषय में बताया।

नाम- मोनिका चट्ठा
विषय- गीता जयंती में बाजार दर्शन

गीता महोत्सव एक कार्यक्रम है जो भगवद्गीता उपदेश की तिथि से संबंधित है। यह हिदूं कैलेंडर के मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। 2016 में हरियाणा सर्कार ने 6 से 10 दिसंबर तक अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया था। इसका उद्घाटन हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा किया गया था। यह कुरुक्षेत्र के ब्रहमसरोवर पर आयोजित होता है। ब्रहमसरोवर एक विशाल जलाशय है,जिसके चारों ओर सुंदर घाट व हरियाली है। ब्रहमसरोवर पर गीता जयंती का आयोजन धर्म, संस्कृति और इतिहास का अद्भुत संगम प्रस्तुत कर्ता है। गीता के उपदेशों की गूंज और श्रद्धालुओं की आस्था इस स्थान को एक अद्वितीय अध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है।इस बार गीता जयंती महोत्सव 28 नवंबर 2024 से 15 दिसंबर 2024 तक चला। इसमें हर वर्ष कोई न कोई राज्य व देश पार्टनर बनता है।इस बार तंज़ानिया पार्टनर देश व ओडिशा पार्टनर राज्य बना था। इस अवसर यहां लगने वाला बाजार एक अद्वितीय अनुभव प्रदान कर्ता है। मैनें भी गीता जयंती के अवसर पर लगने वाले मेले में बाजार का भ्रमण किया। सरोवर के चारों तरफ अलग- अलग राज्यों , देश व स्थानीय लोगों द्वाराष दुकानों में सामान बेचा जा रहा था। मेले में हर प्रकार की वस्तु दिखाई दे रही थी।जैसे – विविध प्रकार की खाने की वस्तुएं ,लकड़ी के खिलौने व अन्य सामान,आचार, मसाले, बेडशीट, सूट – साडी, शालॅ, पुस्तकें,पोस्टर, फूल आयुर्वेदिक औषधियां व तेल ,मूर्तियां,धार्मिक कलाकृति,आभूषण, पारम्परिक वेशभूषा व मिट्टी के बर्तन। इन सब की दुकाने बाजार में उपलब्ध थी। मैनें बाजार से एक बेडशीट व अपने बेटे के लिए खिलौना खरीदा। सब कुछ बहुत सुन्दर लग रहा था। वहीं अलग अलग भजन कीर्तन मंडलियों अपनी कला का प्रदर्शन कर रही थी। थोड़ी देर तक प्रस्तुति दे रहे कलाकारों को देखा। मेले में अपने भाईयों,बेटे एवं पति के साथ गई थी। यह बाजार केवल जलाशय तक सीमित नहीं था,अपितु बाहर सड़क से ही दुकानें शुरू हो गई थी।मेले में हम दोपहर को गए थे।वहां बाजार में खाने की वस्तुओं में सबसे अधिक वैरायटी थी,जिसमें चाइनीज (चाउमीन, गोलगप्पे,बर्गर, पिज्जा आदि)से लेकर देशी ( गोहाना की देशी घई की जलेबी) तक तथा जूस व आइसक्रीम, कुल्फी इत्यादि सब उपलब्ध था।जिन्हें देखकर खाने का बहुत मन कर रहा था,लेकिन हम खाना खाकर मेले में गए थे। इसलिए वहां खाने के स्वाद से वंचित रहे।इस प्रकार हमने एक साथ मेले का खूब आनंद लिया व घर लौट आए।
गीता जयंती का बाजार न केवल एक खरीदारी का अनुभव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धर्म से जुड़ने का एक अवसर भी है।

गीता जयंती के मेरे अनुभव-

Rinki

यह उत्सव कुरुक्षेत्र के एक महत्त्वपूर्ण स्थल ब्रह्म सरोवर पर आयोजित किया जाता है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र-युद्ध के दौरान अर्जुन को भगवद्‌गीता का उपदेश दिया था।
गीता जयंती समारोह कुरुक्षेत्र का एक लोकप्रिय मेला है। मुझे भी इस मेले में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस मेले में यज्ञ, गीता पाठ, भजन, सायंकालीन आरती, विभिन्न राज्यों से आए कलाकार और उनका अपने राज्यों से सम्बन्धित लोकप्रिय नृत्य और नाटक हरियाणवी धरोहर की झलक, उज्बेकिस्तान व तजाकिस्तान से आए कलाकारों की हाथ से बनी वस्तुएं, जेल के कैदियों के द्वारा निर्मित लकड़ी का फर्नीचर. , दूसरे राज्यों से आए शिल्पकार व उनके द्वारा बनायी गयी चीजें, तंजानिया पवेलियन, उडीसा पवेलियन और हरियाणा पवेलियन में तंजानिया देश की लोकप्रिय वस्तुएं व नृत्यों का एग्जीबिशन , उड़ीसा का नृत्य और हरियाणा की हस्त निर्मित घरेलू वस्तओं व संस्कृति को दर्शाने वाली वस्तुओं की स्टाल देखने का सुअवसर मिला। इस बार तंजानिया पार्टनर देश और ओडिशा पार्टनर राज्य बना था।
विभिन्न प्रकार के व्यञ्जन जैसे गोहाना की मशहूर देशी घी की जलेबियाँ, कश्मीर व हिमाचल प्रदेश के सुखे मेवे, पिज्जा, बर्गर, डोसा, गोलगप्पे , पापड़, फ़्रूट आइसक्रीम ,आदि।

जिन को देख कर उनकी ओर आकर्षित होने लगे।
मैं दो बार गीता जयंती देखने गई,एक दिन पुराने दोस्तों के साथ,एक दिन नए दोस्तों के साथ दोनों दिन ही मुझे बहुत आच्छा लगा।
वहां हम घुमे ओर घुमते-घुमते भूख लग गई तो हमने जलेबी खाई,छोले कुल्चे खाये भेल पुरी खाई,
और वहां फ्री मे चाय मिल रही थी उसको भी टेस्ट किया।
वेसे तो सब कुछ ठीक लगा पर वहां समान बहुत महंगा देते हैं,जिस वजह से कुछ खरीद नहीं पाते।
फिर हम थोडी देर वहां सीढीयों पर बेठे ओर वहां बैठ कर हमने फोटो ली।
उसके बाद मै वहां से घर आ गई मेरी दोस्त वहीं घुमती रहीं।

गीता महोत्सव में गुहना का जलेब

नाम – विधि

        गीता महोत्सव पारम्परिक हिन्दु चंद्र कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह (नवंबर-दिसंबर) के शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन मनाया जाता है, यह उत्सव कुरुक्षेत्र के एक महत्त्वपूर्ण स्थल ब्रह्म सरोवर पर आयोजित किया जाता है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र-युद्ध के दौरान अर्जुन को भगवद्‌गीता का उपदेश दिया था।
       गीता जयंती समारोह कुरुक्षेत्र का एक लोकप्रिय मेला है। मुझे भी इस मेले में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं मेरे दोस्तों के साथ इस मेले में गयी। इस मेले में यज्ञ, गीता पाठ, भजन, सायंकालीन आरती, विभिन्न राज्यों से आए कलाकार और उनका अपने राज्यों से सम्बन्धित लोकप्रिय नृत्य और नाटक हरियाणवी धरोहर की झलक, उज्बेकिस्तान व तजाकिस्तान से आए कलाकारों की हाथ से बनी वस्तुएं, जेल के कैदियों के द्वारा निर्मित लकड़ी का फर्नीचर. , दूसरे राज्यों से आए शिल्पकार व उनके द्वारा बनायी गयी चीजें, तंजानिया पवेलियन, उड़ीसा पवेलियन और हरियाणा पवेलियन में तंजानिया देश की लोकप्रिय वस्तुएं व नृत्यों का एग्जीबिशन , उड़ीसा का नृत्य और हरियाणा की हस्त निर्मित घरेलू वस्तओं व संस्कृति को दर्शाने वाली वस्तुओं की स्टाल देखने का सुअवसर मिला। इस बार तंजानिया पार्टनर देश और ओडिशा पार्टनर राज्य बना था।
     विभिन्न प्रकार के व्यञ्जन जैसे गोहाना की मशहूर देशी घी की जलेबियाँ जिनको मेरे द्वारा मेले मेें तीन बार खाया गया। कश्मीर व हिमाचल प्रदेश के सुखे मेवे, पिज्जा, बर्गर, डोसा, गोलगप्पे , पापड़, फ़्रूट आइसक्रीम ,विभिन्न प्रकार के जूस इत्यादि देखे  और पूरे ब्रह्मसरोवर पर घूमते-घूमते वहाँ लगी विभिन्न प्रकार की दुकाने और आकर्षित करने वाले उनके सामान को देखने का आनन्द उठाया। हम कुछ देर ब्रह्म- सरोवर की सीढियों पर भी बैठे और शांत जल को निहारते रहे । शाम को ब्रह्म- सरोवर अत्यधिक मोहक लग रहा था। लाइटों की अनेक प्रकार की रोशनियाँ, लड़ियाँ मन को प्रफुल्लित कर रही थीं ।वहा अलग से एक जगह पर मेला भी दिखाई दे रहा था जिसके बड़े बड़े झूले सबको अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे परंतु होस्टल आने का समय होने के कारण हम वहा नहीं जा सके। हम गीता जयंती के इस अवसर पर ब्रह्मसरोवर जाकर बहुत आनंदित हुए ।

Name- karmjeet गीता महोत्सव पारम्परिक हिन्दु चंद्र कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह (नवंबर-दिसंबर) के शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन मनाया जाता है यह मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन है। इस साल (2024) में गीता जयंती महोत्सव 28 नवंबर 2024 से 15 दिसंबर 2024 तक चला। यह उत्सव कुरुक्षेत्र के एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल ब्रह्म सरोवर पर आयोजित किया जाता है, जिसके बारे में यह विश्वास है कि यहाँ भगवान कृष्ण जी ने अर्जुन को भगवद्‌गीता का उपदेश दिया था। गीता जयंती समारोह कुरुक्षेत्र का एक लोकप्रिय मेला है। हमें भी इस मेले में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं मेरे मित्रों के साथ इस मेले में गया। इस मेले में यज्ञ, गीता पाठ, भजन, सायंकालीन आरती, विभिन्न राज्यों से आए कलाकार और उनका अपने राज्यों से सम्बन्धित लोकप्रिय नृत्य और नाटक हरियाणवी धरोहर की झलक, उडीसा पवेलियन और हरियाणा पवेलियन में तंजानिया देश की लोकप्रिय वस्तुएं व नृत्यों का एग्जीबिशन , उड़ीसा का नृत्य और हरियाणा की हस्त निर्मित घरेलू वस्तओं व संस्कृति को दर्शाने वाली वस्तुओं की स्टाल देखने का सुअवसर मिला। हमने वहाँ पर ओडिशा के छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला शिव तांडव देखा जिसे देख कर हमारा मन प्रफुल्लित हो उठा। विभिन्न प्रकार के व्यञ्जन जैसे गोहाना की मशहूर देशी घी की जलेबियाँ, कश्मीर व हिमाचल प्रदेश के सुखे मेवे, पिज्जा, बर्गर, डोसा, गोलगप्पे , पापड़, फ़्रूट आइसक्रीम ,विभिन्न प्रकार के जूस इत्यादि वहां उपस्थित थे और पूरे ब्रह्मसरोवर पर घूमते-घूमते वहाँ लगी विभिन्न प्रकार की दुकाने और आकर्षित करने वाले उनके सामान को देखने का आनन्द उठाया। हमने वहां पर फोटोशूट भी किया।।हम सभी वहाँ लगे झूलों की तरफ गए और हमने झूला झूला हमने बहुत आनंद लिया हम झूले में बैठकर जोर जोर से चिल्लाए जिससे हमारा आनंद दोगुना हो गया। फिर हम शाम 7 बजे वहाँ से हॉस्टल आए और खाना खाकर रात को फिर से ब्रम्ह सरोवर गए रात का नजारा ओर भी मनमोहक था लाइटों से वहाँ का नजारा ओर भी ज्यादा सुंदर लग रहा था हमने ब्रम्ह सरोवर का पूरा एक चक्कर लगाया ब्रम्ह सरोवर के बीच जहां अर्जुन का रथ खड़ा है वहाँ पर dj बज रहे थे हम सभी ने मिलकर नृत्य किया और उस पल का आनंद उठाया फिर हमने वहाँ बिल्ली की मिठाई जिसे हम बुढ़िया के बाल भी बोलते है वो खाई हमने गुब्बारे लिए और कई छोटे बच्चों को बांटे जिससे हमें बहुत खुशी हुई एक गुब्बारा हमने एक बुजुर्ग बाबा को दिया जो dj पे अकेले नाच रहे थे जिससे हमें तो खुशी मिली ही साथ ही उनको भी बहुत खुशी मिली उन्होंने खुश होकर हमें आशीर्वाद दिया फिर थोड़ा घुम फिर कर हम हॉस्टल वापिस आ गए और रात 2 बजे तक सभी दोस्तों ने मस्ती की और अंत में मैं कहना चाहूंगा कि हमें गीता जयंती पर जाकर बहुत खुशी हुई आशा करता हु कि आगे भी हमें इसे ही ब्रम्ह सरोवर पर जाने का अवसर मिले और हम इसी प्रकार आनंद उठाए धन्यवाद!


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